15 June Kainchi Dham Mela: उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों में स्थित कैंची धाम आश्रम हर वर्ष जून के महीने में एक ऐसे आयोजन का गवाह बनता है, जो भक्ति, श्रद्धा और दिव्यता से परिपूर्ण होता है। 15 और 16 जून को यहाँ एक विशाल वार्षिक मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु बाबा नीम करौली महाराज के दर्शन और आशीर्वाद के लिए उमड़ पड़ते हैं।
यह मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए आत्मिक जुड़ाव, चमत्कारों की अनुभूति और एक गहरे आध्यात्मिक अनुभव का अवसर बन जाता है। आइए जानते हैं इस विशेष मेले की खासियत, इतिहास और भक्तों के अनुभवों के बारे में।
नीम करौली बाबा और कैंची धाम का महत्व
बाबा नीम करौली महाराज 20वीं सदी के महान संतों में से एक थे, जिनकी भक्ति और साधना का प्रभाव भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका तक फैला। स्टीव जॉब्स, मार्क ज़ुकरबर्ग जैसे कई प्रसिद्ध व्यक्तियों ने भी उनके आश्रम में आकर आध्यात्मिक मार्ग की खोज की थी। बाबा के चमत्कारों और उनके द्वारा किए गए कल्याणकारी कार्यों ने उन्हें एक अद्भुत संत की श्रेणी में स्थापित कर दिया।
कैंची धाम आश्रम की स्थापना उन्होंने 1960 के दशक में की थी और यहीं पर हनुमान जी का भव्य मंदिर भी बनवाया गया। बाबा स्वयं हनुमान जी के अनन्य भक्त थे और उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय यहीं साधना में व्यतीत किया।
15 June Kainchi Dham Mela 15 और 16 जून का मेला – कैसे हुई शुरुआत?
यह मेला हर साल 15 जून को बाबा नीम करौली जी की पुण्यतिथि और 16 जून को कैंची धाम स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित होता है। माना जाता है कि 15 जून 1964 को यहाँ पहला भंडारा आयोजित हुआ था, और तभी से यह परंपरा बन गई। उस दिन कुछ ही लोग थे, लेकिन आज यह आयोजन लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।
इस दो दिवसीय मेले में विशेष पूजा, हवन, भजन-कीर्तन, कथा वाचन और विशाल भंडारे का आयोजन होता है। हर कोई बिना भेदभाव के प्रसाद ग्रहण करता है, और यहाँ सेवा करना भी अपने आप में पुण्य माना जाता है।
क्या होता है इस मेले में खास?
- विशेष पूजा-अर्चना:
मंदिर में हनुमान जी और बाबा नीम करौली जी की विशेष पूजा की जाती है। संपूर्ण आश्रम में शंख, घंटी और मंत्रों की गूंज भक्तों को आत्मिक शांति देती है। - भंडारा (प्रसाद वितरण):
हजारों की संख्या में लोग इस दिन प्रसाद प्राप्त करते हैं। यहाँ तक कि बाहर से आने वाले पर्यटकों को भी निशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाता है। - भजन-कीर्तन और साधु-संतों का आगमन:
इस पावन अवसर पर देश के कोने-कोने से संत और साधु यहाँ आते हैं। भजन मंडलियाँ भक्तिरस में डूबे भजन गाते हैं, जिससे माहौल और भी आध्यात्मिक हो जाता है। - भक्तों का अनुभव:
कई श्रद्धालु बताते हैं कि यहाँ आकर उन्हें अपनी समस्याओं का समाधान मिल गया, कईयों ने बाबा के चमत्कारों को महसूस किया है। लोगों को एक अदृश्य शक्ति का एहसास होता है, जो उन्हें बार-बार यहाँ खींच लाती है।
15 June Kainchi Dham Mela कैसे पहुँचें कैंची धाम मेले में?
- सड़क मार्ग: नैनीताल और हल्द्वानी से कैंची धाम के लिए नियमित टैक्सी और बसें चलती हैं। नैनीताल से कैंची धाम की दूरी लगभग 17 किमी है।
- रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम (25 किमी) है, जहाँ से टैक्सी सेवा उपलब्ध है।
- हवाई मार्ग: सबसे निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर एयरपोर्ट है, जो लगभग 65 किमी दूर है।
महत्वपूर्ण सुझाव मेले के लिए
- सुबह जल्दी पहुँचें, क्योंकि भक्तों की भारी भीड़ होती है।
- आश्रम में मोबाइल नेटवर्क सीमित हो सकता है, इसलिए आवश्यक संपर्क पहले से कर लें।
- किसी भी तरह की अफवाहों से बचें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
- अगर आप रुकने की योजना बना रहे हैं तो नैनीताल या भवाली में पहले से होटल बुक कर लें।
निष्कर्ष: आस्था का अद्भुत संगम
कैंची धाम मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक जीवन बदल देने वाला अनुभव है। यहाँ की ऊर्जा, भक्तों की आस्था, बाबा नीम करौली जी का आशीर्वाद और हनुमान जी की कृपा मिलकर इस स्थान को एक चमत्कारी तीर्थ बना देते हैं।
यदि आप भी जीवन में सकारात्मकता, शांति और चमत्कारों की तलाश में हैं, तो इस 15 और 16 जून को कैंची धाम जरूर आइए — शायद बाबा की कृपा आपके जीवन को भी नया रास्ता दे दे।
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