यशस्वी जायसवाल की विवादास्पद बर्खास्तगी: टेस्ट मैच में एक अप्रत्याशित मोड़ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के चौथे टेस्ट मैच ने क्रिकेट प्रेमियों को खूब रोमांचित किया। मेलबर्न में खेला गया यह मैच न केवल खेल के मोड़ और विकेट गिरने के तरीके के कारण चर्चा में रहा, बल्कि इसमें शामिल ड्रामा और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल की संभावनाओं ने इसे और भी दिलचस्प बना दिया। हालांकि, इस मै च के अंत में जो एक विवाद उभरा, वह था यशस्वी जायसवाल की बर्खास्तगी, जिसने लंबे समय तक चर्चाओं का विषय बना।
यशस्वी जायसवाल का शानदार प्रदर्शन और बर्खास्तगी की घटना
सोमवार को जब भारत 340 रन के विशाल लक्ष्य का पीछा करने उतरा, तब यशस्वी जायसवाल ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने पिछले कुछ मैचों में शानदार प्रदर्शन किया था और इस मैच में एक और शतक बनाने के करीब थे। पर्थ में पिछले महीने 161 रन की धमाकेदार पारी के बाद, वह इस मैच में भी शतक की ओर बढ़ रहे थे।
लेकिन मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर पांचवें दिन मैच के अंतिम घंटे में एक ऐसी घटना घटी, जिसने इस युवा खिलाड़ी को गुस्से में डाल दिया। पारी के 71वें ओवर की अंतिम गेंद पर पैट कमिंस ने शॉर्ट गेंद डाली, जिस पर जायसवाल ने पुल शॉट खेलने की कोशिश की। गेंद विकेटकीपर एलेक्स कैरी के पास गई, जिन्होंने डाइव लगाकर गेंद को पकड़ लिया। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी जश्न मनाने लगे, क्योंकि उन्होंने भारत के अंतिम विशेषज्ञ बल्लेबाज को आउट कर दिया था, लेकिन मैदानी अंपायर जोएल विल्सन ने नॉट आउट करार दिया।
इसके बाद पैट कमिंस ने तुरंत रिव्यू लिया, और थर्ड अंपायर शरफुद्दौला इब्ने शाहिद सैकत ने सभी कोणों से रीप्ले देखा। हालांकि, उन्हें डिफ्लेक्शन का स्पष्ट संकेत मिला, लेकिन स्निको पर कोई स्पाइक नहीं दिखा। इस पर सैकत ने तकनीक की बजाय दृश्य साक्ष्य पर भरोसा करते हुए फैसले को पलट दिया।
स्निको पर कोई स्पाइक क्यों नहीं था?
इस विवादास्पद बर्खास्तगी के बाद, वॉरेन ब्रेनन, जो बीबीजी स्पोर्ट्स स्निको का संचालन करते हैं, ने यह बताया कि विक्षेपण के स्पष्ट संकेतों के बावजूद स्निको में कोई स्पाइक क्यों नहीं था। उन्होंने कोड स्पोर्ट्स से कहा, “यह एक ऐसा मामला था जिसमें कोई शोर नहीं था, इसलिए स्निको में कुछ भी नहीं दिखा, केवल परिवेशीय शोर था।” उन्होंने आगे कहा, “मैंने ऑडियो डायरेक्टर से भी पूछा, और उन्होंने बताया कि कोई शोर नहीं था। शायद हॉट स्पॉट ही इस मामले को हल कर सकता था।”
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पूर्व अंपायर साइमन टफेल का समर्थन
इस घटना के बाद, पूर्व टेस्ट अंपायर साइमन टफेल ने तीसरे अंपायर सैकत के फैसले का समर्थन किया। उन्होंने चैनल 7 से कहा, “मेरे अनुसार, फैसला सही था। तीसरे अंपायर ने अंत में सही निर्णय लिया।” उन्होंने यह भी कहा, “जब अंपायर बल्ले से स्पष्ट विक्षेपण देखता है, तो तकनीक के दूसरे रूप का उपयोग करने की जरूरत नहीं होती। स्पष्ट विक्षेपण निर्णायक सबूत होता है।”
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साइमन टफेल ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में थर्ड अंपायर ने तकनीकी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए निर्णय लिया और विक्षेपण के बावजूद कोई निर्णायक ऑडियो साक्ष्य नहीं पाया। अंततः, निर्णय सही था और अंपायर फील्ड ने इसे पलटने का सही कदम उठाया।
निष्कर्ष
यशस्वी जायसवाल की बर्खास्तगी ने इस टेस्ट मैच को विवादास्पद बना दिया, लेकिन क्रिकेट में तकनीकी सहायता के इस दौर में, अंपायरों के फैसले और साक्ष्यों की ताकत को नकारा नहीं किया जा सकता। इस मामले ने साबित कर दिया कि क्रिकेट में अंपायर तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर ही अंतिम निर्णय लेते हैं, और इस बार भी वही हुआ।