ISRO GSLV NVS-02 Launch: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 29 जनवरी को एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। इस दिन, सुबह 6.23 बजे श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी-एफ15 द्वारा 2,250 किलोग्राम वजनी नेविगेशन उपग्रह (NVS-02) का प्रक्षेपण किया जाएगा। यह प्रक्षेपण इसरो की 100वीं उड़ान होगी और इसमें स्वदेशी रूप से विकसित क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग किया जाएगा। यह जीएसएलवी वाहन की 17वीं उड़ान होगी, जिसमें क्रायोजेनिक इंजन की 11वीं उड़ान होगी।
ISRO GSLV NVS-02 Launch: नई पीढ़ी के उपग्रह का महत्व
🚀 Mark your calendars! The Launch of GSLV-F15/NVS-02 Mission is scheduled on 29th January 2025 at 06:23 hrs IST from SDSC SHAR, Sriharikota.
— ISRO (@isro) January 24, 2025
🎟️ Public can witness the launch from Launch View Gallery at SDSC SHAR, Sriharikota by registering through online from the following…
NVS-02 उपग्रह भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) के तहत विकसित किए गए पांच दूसरे पीढ़ी के उपग्रहों में से दूसरा है। यह उपग्रह मौजूदा उपग्रहों को प्रतिस्थापित करेगा और देश के नेविगेशन सिस्टम को और भी मजबूत बनाएगा। इस नई पीढ़ी के उपग्रहों की उम्र 12 साल होगी और ये अत्याधुनिक परमाणु घड़ियों से सुसज्जित होंगे। साथ ही, ये L1 आवृत्ति का उपयोग करेंगे, जो आमतौर पर अमेरिकी GPS में इस्तेमाल होती है, जिससे छोटे उपकरणों जैसे फिटनेस ट्रैकर द्वारा इनका उपयोग बढ़ सकता है।
अंतरिक्ष में ऊँचाइयों की ओर
यह मिशन लगभग 19 मिनट तक चलेगा, जिसमें उपग्रह को 170 x 36,577 किमी की भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यही कक्षा है, जहां उपग्रह उच्च भूस्थिर कक्षा में जाने के लिए प्रवेश करते हैं। यह प्रक्षेपण न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी है।
ISRO GSLV NVS-02 Launch: नए और पुराने उपग्रहों का मिलाजुला प्रभाव
IRNSS, जिसे भारतीय नक्षत्र या नाविक भी कहा जाता है, सात उपग्रहों का एक समूह है जो भारत और उसके पड़ोस में 1,500 किमी तक स्थिति, नेविगेशन और समय सेवाएं प्रदान करता है। इसका पहला उपग्रह IRNSS-1A 2013 में लॉन्च हुआ था और अब तक इसके कई उपग्रहों के मिशन जीवन समाप्त हो चुके हैं। कुछ उपग्रहों में परमाणु घड़ियों के खराब होने के कारण प्रतिस्थापन की आवश्यकता पड़ी थी।
नई पीढ़ी के उपग्रहों का वादा
नई पीढ़ी के उपग्रहों में से पहला उपग्रह NVS-01 को 2023 में लॉन्च किया गया था। ये उपग्रह L1 आवृत्ति का उपयोग करके सेवाओं को और व्यापक बनाएंगे, जिससे फिटनेस ट्रैकर जैसे छोटे उपकरणों द्वारा इनका उपयोग बढ़ सकता है।
ISRO GSLV NVS-02 Launch: भारत के नेविगेशन सिस्टम की बढ़ती शक्ति

भारत का यह नेविगेशन नक्षत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है, लेकिन इसे अभी भी और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। कुछ आलोचनाओं के बावजूद, जैसे कि शुरुआती उपग्रहों के मिशन जीवन का पूरी तरह से उपयोग नहीं हो पाया, अब नेविगेशन नक्षत्र के लिए कई नए रिसीवर और एप्लिकेशन विकसित किए जा चुके हैं। इसके अलावा, अब भारतीय मोबाइल फोन भी IRNSS संकेतों को प्राप्त करने में सक्षम हैं।
नाविक की सेवाओं की अंतर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता
इसरो को अब यह चुनौती है कि वह नाविक की सेवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाए, ताकि इसे वैश्विक उपयोग में लाया जा सके। यह न केवल देश की अंतरिक्ष क्षमता को और बढ़ावा देगा, बल्कि भारत को एक वैश्विक तकनीकी नेता के रूप में भी स्थापित करेगा।
29 जनवरी का यह मिशन इसरो के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत है, जो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और नेविगेशन तकनीक में एक नई ऊँचाई को छुएगा।
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