“फोर्ब्स की दुनिया के सबसे ताकतवर देशों की सूची में भारत टॉप 10 से बाहर, जानें क्यों!”

Riya Pandey
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2025 में दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों की सूची में भारत को बाहर रखा गया है, जबकि इस बार एक मुस्लिम देश ने शीर्ष 10 में स्थान प्राप्त किया है। इस बदलाव ने वैश्विक शक्ति संतुलन में एक महत्वपूर्ण संकेत दिया है। वह मुस्लिम देश तुर्की है, जिसने इस सूची में अपनी जगह बनाई है। तुर्की का यह कदम दर्शाता है कि वैश्विक राजनीति में नए बदलाव आ रहे हैं और शक्ति का संतुलन लगातार बदलता जा रहा है।

Powerful Countries 2025: फोर्ब्स ने 2025 के लिए दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों की सूची जारी की है, जिसमें भारत को टॉप 10 में स्थान नहीं मिला है। यह सूची यूएस न्यूज द्वारा तैयार की गई है, जिसमें अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, फ्रांस, जापान, सऊदी अरब और इजरायल को शीर्ष 10 में जगह मिली है।

इस रैंकिंग को तैयार करते समय राजनीतिक प्रभाव, सैन्य शक्ति, आर्थिक स्थिति, वैश्विक गठजोड़ और नेतृत्व क्षमता जैसे पांच प्रमुख मापदंडों को ध्यान में रखा गया है। हालांकि, भारत, जो दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और चौथी सबसे बड़ी सेना रखने वाला देश है, को इस सूची से बाहर रखा गया है, जिससे कई सवाल उठ रहे हैं। इस बदलाव ने वैश्विक शक्ति संतुलन पर सवाल खड़े कर दिए हैं और यह संकेत देता है कि कुछ बदलाव हो रहे हैं।

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“भारत को क्यों नहीं मिली टॉप 10 में जगह? जानिए इसके पीछे की वजह!”

भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था, विशाल जनसंख्या और मजबूत सैन्य ताकत को देखते हुए उसे इस सूची से बाहर करना वाकई चौंकाने वाला है। भारत ने हाल के वर्षों में वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जैसे कि उसकी बढ़ती कूटनीतिक उपस्थिति, आर्थिक विकास, और अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों में सक्रिय भागीदारी, फिर भी उसे टॉप 10 से बाहर रखा गया।

विशेषज्ञों का मानना है कि सऊदी अरब (9) और इजरायल (10) जैसे देशों को इस सूची में स्थान देना और भारत को बाहर रखना रैंकिंग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है। भारत की वैश्विक ताकत और प्रभाव को नजरअंदाज करना, खासकर जब उसके पास दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना और एक विशाल अर्थव्यवस्था है, ऐसे कदम को समझना मुश्किल हो सकता है। इस रैंकिंग में भारत को बाहर रखना वैश्विक शक्ति संतुलन पर एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करता है।


“रैंकिंग का आधार और रिसर्च मॉडल: क्या थे वो प्रमुख मापदंड?”

यह रैंकिंग BAV ग्रुप द्वारा तैयार की गई है, जो WPP की एक इकाई है। इस अध्ययन का नेतृत्व पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल के प्रोफेसर डेविड रीबस्टीन ने किया है। इस सूची को तैयार करने में नेतृत्व प्रभाव, वैश्विक गठबंधन, सैन्य शक्ति, आर्थिक प्रभाव और राजनीतिक स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण कारकों को प्राथमिकता दी गई है।

इन मापदंडों के आधार पर देशों का मूल्यांकन किया गया, और इस प्रक्रिया में भारत को टॉप 10 में जगह नहीं मिली, जबकि अन्य प्रमुख देशों को इसमें स्थान प्राप्त हुआ। इस रैंकिंग ने वैश्विक शक्ति संरचना और उसके विभिन्न पहलुओं पर विचार करने का एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।

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Flags of the member states of the European Union.
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“क्या फोर्ब्स ने भारत की शक्ति को कम आंका? जानें वजह!”

भारत को इस सूची में जगह न मिलने से अंतरराष्ट्रीय राजनीति और मीडिया में व्यापक बहस छिड़ गई है। कई विश्लेषकों का मानना है कि भारत की सैन्य ताकत, आर्थिक वृद्धि और वैश्विक प्रभाव को कम करके आंका गया है। विशेष रूप से, भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी कूटनीतिक गतिविधियों को बढ़ाया है, और उसका वैश्विक प्रभाव भी बढ़ा है, फिर भी उसे इस सूची से बाहर रखा गया।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को भू-राजनीतिक स्तर पर और अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी, ताकि भविष्य में उसे इस तरह की रैंकिंग में उचित स्थान मिल सके। इसके अलावा, भारत को अपनी राजनीतिक स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों में और सुधार करना होगा ताकि वह वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर सके।

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दुनिया के 10 सबसे ताकतवर देश (2025)

रैंकदेशजीडीपीजनसंख्याक्षेत्र
1अमेरिका$30.34 ट्रिलियन34.5 करोड़उत्तरी अमेरिका
2चीन$19.53 ट्रिलियन141.9 करोड़एशिया
3रूस$2.2 ट्रिलियन14.4 करोड़यूरोप
4यूके$3.73 ट्रिलियन6.91 करोड़यूरोप
5जर्मनी$4.92 ट्रिलियन8.45 करोड़यूरोप
6दक्षिण कोरिया$1.95 ट्रिलियन5.17 करोड़एशिया
7फ्रांस$3.28 ट्रिलियन6.65 करोड़यूरोप
8जापान$4.39 ट्रिलियन12.37 करोड़एशिया
9सऊदी अरब$1.14 ट्रिलियन3.39 करोड़एशिया
10इजरायल$550.91 बिलियन93.8 लाखएशिया

क्या भारत अगले साल टॉप 10 में शामिल हो पाएगा?

हालांकि भारत के पास दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और चौथी सबसे बड़ी सेना है. ऐसे में अगर भारत अपनी कूटनीतिक और सैन्य रणनीतियों को और मजबूत करता है, तो आने वाले वर्षों में वह शीर्ष 10 शक्तिशाली देशों में अपनी जगह बना सकता है.

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"रिया पांडे" एक व्यवसाय विषयक लेखिका हैं, जिनका उद्देश्य पाठकों को व्यवसाय जगत के नवीनतम रुझानों, रणनीतियों और सुझावों से अवगत कराना है। उन्होंने व्यवसाय प्रशासन में स्नातक (Bachelor's in Business Administration) की डिग्री हासिल की है, जो उनके लेखन में गहरी समझ और व्यावहारिक दृष्टिकोण लाती है। अपने लेखों के माध्यम से, रिया पाठकों को सफल व्यवसाय की दिशा में मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करती हैं।
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