Cancer Test at home: भारत में अब लोग घर बैठे ही कुछ खास प्रकार के कैंसर से जुड़े जीन म्यूटेशन की पहचान करने के लिए DIY टेस्ट कर सकते हैं। क्या यह टेस्ट पूरी तरह सटीक नहीं होते हैं।
आज के सोशल मीडिया और विज्ञापनों में घर बैठे कैंसर जांच के दावे किए जा रहे हैं, कभी लार के नमूने से तो कभी कुछ बूंद खून से। यह टेस्ट कैंसर से जुड़े जीन म्यूटेशन का पता लगाने का दावा करते हैं, लेकिन क्या यह टेस्ट भरोसेमंद है?
Cancer Test at home: विशेषज्ञ की चेतावनी- सावधानी जरूरी
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि बिना डॉक्टर की सलाह के टेस्ट करवाना उल्टा नुकसानदायक हो सकता है। इन टेस्टों में झूठे पॉजिटिव या झूठे नेगेटिव नतीजे की संभावना अधिक होती है, जिससे लोग बेवजह घबरा सकते हैं और अनावश्यक जांचों का सिलसिला शुरू हो सकता है।
क्या हर किसी को जांच करना चाहिए?
हर व्यक्ति को कैंसर की जांच करवाने की जरूरत नहीं होती। टेस्ट की सलाह केवल उन्हीं लोगों को दी जाती है जिनके परिवार में कोई सदस्य कैंसर से पीड़ित रहा हो, किसी को कम उम्र में कैंसर हुआ हो, या फिर किसी व्यक्ति में दो अलग-अलग कैंसर पाए गए हों।
कई विज्ञापन इन टेस्टों की 90% सटीकता का दावा करते हैं।
यह टेस्ट केवल कैंसर के जीन म्यूटेशन का पता लगाते हैं, न कि कैंसर की मौजूदगी का। उनकी संवेदनशीलता और सटीकता कई कारकों पर निर्भर करती है।
हालांकि कुछ मामलों में यह टेस्ट मददगार साबित हो सकते हैं।
TOI में छपी एक खबर के अनुसार, 47 वर्षीय महिलाओं में स्तन और अंडाशय के कैंसर का पता चला। उनके परिवार में भी ऐसे मामले थे, जिससे ब्रा का वन जीव में म्यूटेशन पाया गया। उनके भाई में भी यही जीन मिला, जिससे उन्हें समय रहते निगरानी में लिया गया।
भारत में रेगुलेशन की स्थिति
अभी तक इन टेस्टों के लिए सख्त नियम नहीं बने हैं। अमेरिका में ऐसे टेस्टों को FDA से मंजूरी लेनी होती है, लेकिन भारत में इन पर स्पष्ट निर्देश नहीं हैं, जिससे गलत नतीजे और दुरुपयोग की आशंका बनी रहती है।अगर आपको टेस्ट करवाना ही है तो मान्यता प्राप्त लैब का चयन करें।
भारत में घर पर उपयोग की जाने वाली स्क्रीनिंग टेस्ट किट की कीमत लगभग 1500 से ₹2000 के बीच होती है।
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