“महाराष्ट्र में गुलियन-बैरे सिंड्रोम से पहली मौत! 16 मरीज वेंटिलेटर पर, डॉक्टरों और मरीजों में हड़कंप”

Ashutosh Anand
6 Min Read
First death due to Guillain-Barré syndrome in Maharashtra! 16 patients

महाराष्ट्र में गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) ने खौफ पैदा कर दिया है। पुणे में इस दुर्लभ बीमारी से पहली मौत दर्ज की गई है, और अब तक 101 संदिग्ध मामले सामने आ चुके हैं। 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है। यह न्यूरोलॉजिकल विकार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को नर्व सिस्टम पर हमला करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे कमजोरी, सुन्नता और गंभीर मामलों में पक्षाघात हो सकता है। आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण, कारण और सरकार द्वारा उठाए गए कदम।

Guillain-Barre Syndrome: पुणे में मचा हाहाकार

महाराष्ट्र में इन दिनों गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और इस बीमारी से राज्य में पहली मौत की खबर सामने आई है। पुणे में 101 संदिग्ध मरीजों के मामले सामने आ चुके हैं, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया है। यह दुर्लभ बीमारी अब तक लोगों के लिए अज्ञात थी, लेकिन अब इसकी बढ़ती घटनाओं ने सबको चौंका दिया है।

गुलियन-बैरे सिंड्रोम: क्या है यह बीमारी?

गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से परिधीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है। इसके परिणामस्वरूप मरीजों में अचानक सुन्नता, मांसपेशियों में कमजोरी, हाथों और पैरों में गंभीर कमजोरी, और कुछ मामलों में पक्षाघात हो सकता है। यह बीमारी बहुत तेज़ी से बढ़ सकती है और कई दिनों में गंभीर रूप ले सकती है।

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महाराष्ट्र में बढ़ते मामले: 16 मरीज वेंटिलेटर पर

First death due to Guillain-Barre syndrome in Maharashtra! 16 patients on ventilator, panic among doctors and patients

अब तक इस सिंड्रोम के कारण 28 नए मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जिससे कुल मरीजों की संख्या 101 तक पहुँच चुकी है। इनमें से 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। 9 जनवरी को पुणे में पहला मामला सामने आया था, और इसके बाद यह रोग तेजी से फैलता गया। इस बीमारी के लक्षण बच्चों और वृद्धों में ज्यादा गंभीर पाए जा रहे हैं, जिनमें 19 बच्चे और 23 वृद्ध मरीज शामिल हैं।

गुलियन-बैरे सिंड्रोम क्या है इस बीमारी का कारण?

गुलियन-बैरे सिंड्रोम का मुख्य कारण बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण होते हैं। हाल ही में पुणे के अस्पतालों में कुछ मरीजों में “कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी” बैक्टीरिया पाया गया है, जो GBS के लगभग एक तिहाई मामलों का कारण बनता है। इसके अलावा पुणे के खड़कवासला बांध के पास एक कुएं में बैक्टीरिया “ई. कोली” का उच्च स्तर भी पाया गया, हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि इससे संक्रमण फैल रहा है या नहीं।

इलाज और उपचार: महंगा और मुश्किल

First death due to Guillain-Barre syndrome in Maharashtra! 16 patients on ventilator, panic among doctors and patients

गुलियन-बैरे सिंड्रोम का इलाज महंगा है। मरीजों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन की आवश्यकता होती है, जिसकी कीमत प्रति शॉट 20,000 रुपये है। एक मरीज को इस इलाज के लिए 13 इंजेक्शन तक की जरूरत पड़ सकती है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने इस महंगे इलाज को लेकर मुफ्त उपचार की योजना भी बनाई है, ताकि गरीब मरीज इसका खर्च उठा सकें।

गुलियन-बैरे सिंड्रोम सरकार का कदम: मुफ्त इलाज की घोषणा

महाराष्ट्र सरकार ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है और पुणे नगर निगम क्षेत्र में 64 मरीजों के लिए मुफ्त इलाज की योजना शुरू की है। इसके अंतर्गत, पिंपरी-चिंचवाड़ के मरीजों का इलाज वाईसीएम अस्पताल में, पुणे नगर निगम के मरीजों का इलाज कमला नेहरू अस्पताल में, और ग्रामीण मरीजों का इलाज ससून अस्पताल में मुफ्त किया जाएगा।

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गुलियन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण:

GBS के लक्षण आमतौर पर तेजी से बढ़ते हैं, जिसमें शामिल हैं:

  • हाथों और पैरों में सुन्नता
  • चलने में कठिनाई
  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • शरीर के विभिन्न हिस्सों में झुनझुनी
  • संतुलन बनाए रखने में परेशानी

क्या यह बीमारी गंभीर हो सकती है?

जी हां, गुलियन-बैरे सिंड्रोम गंभीर हो सकता है और कई मामलों में यह पक्षाघात का कारण बन सकता है। हालांकि, डॉक्टरों के मुताबिक, 80% मरीज इलाज के बाद सामान्य स्थिति में वापस लौट आते हैं, लेकिन कुछ मरीजों को अपने अंगों का पूरा उपयोग करने में एक साल या उससे अधिक समय लग सकता है।

निवासियों से अपील:

स्वास्थ्य विभाग ने पुणे के निवासियों को चेतावनी दी है कि वे जल स्रोतों का सावधानी से उपयोग करें और पानी को उबालकर ही पीएं। इसके अलावा, अपने भोजन को अच्छी तरह से गर्म करने की सलाह दी गई है।

निष्कर्ष:

गुलियन-बैरे सिंड्रोम से महाराष्ट्र में मचा हाहाकार एक गंभीर समस्या बन चुका है। इस बीमारी की तेज़ी से बढ़ती घटनाओं ने स्वास्थ्य अधिकारियों को चिंतित कर दिया है। इस मुश्किल वक्त में, सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने मुफ्त इलाज की व्यवस्था की है, ताकि मरीजों को राहत मिल सके।. यह न्यूरोपैथिक दर्द का भी कारण बनता है जो पीठ और अंगों में देखा जाता है. अनियमित हृदय गति, रक्तचाप में उतार-चढ़ाव और गंभीर मामलों में सांस लेने में कठिनाई. गंभीर अवस्‍था में जीबीएस कुल पक्षाघात का कारण बन सकता है, जिसके लिए वेंटिलेशन की आवश्यकता होती है।

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FAQs: गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS)

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